कब शुरू होगा गोविंदनगर सुगर मिल का पेराई सत्र?
   बस्ती (उ.प्र.)। बीते तीन महीने से आश्वासनों और आशाओं के बीच फंसे लाखों लोग गोविंदनगर सुगर मिल की ओर देख रहे हैं कि सुगर मिल कब पेराई सत्र शुरूआत करेगी और बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान कब होगा। मिल प्रबंधन, जिला प्रशासन तथा जिले के राजनीतिक तंत्र के बीच फंसा गन्ना किसान और कर्मचारियों की कोई सुधि लेने वाला नहीं है।


मोदी की किसानों की आय दो गुनी करने और सीएम योगी जी के बेरोजगारी उन्मूलन की योजना लोगों के मकड़जाल में फंसकर कराह रही है कोई पुरसाहाल नहीं है।
ज्ञातव्य हो कि २०१७ से बंद पड़ी गोविंदनगर सुगर मिल की कोई सुधि लेने वाला नहीं था न तो फेनियल ग्रुप और न ही जिला प्रशासन व राजनीति तंत्र। २०१८ में किन्हीं कारणों से जिला प्रशासन व राजनीति तंत्र ने थोड़ी सी सुधि तो ली किन्तु एक-एक कर सभी गायब हो गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन साल बाद एक व्यवसाई के.एल. शर्मा सुगर मिल चलाने का प्रयास कर रहा है किन्तु संबंधित लोगों के असहयोग के कारण जमीन पर घिसटने के लिए मजबूर है। लोगों में चर्चा है कि पिछले दिनों एक समाचारपत्र में छपी एक खबर कि मिल चलने को तैयार बस आदेश का इंतजार। फिर आदेश में इतनी देरी क्यों? कुछ लोगों का कहना है कि मिल चलने में बकाया गन्ना मूल्य भुगतान का पेंच फंसा है, व्यवसाई अग्रिम बकाया गन्ना मूल्य भुगतान में असमर्थता व्यक्त किया किन्तु भुगतान करने का आश्वासन दिया। लोगों  का कहना है कि तीन साल से बंद पड़ी गोविंदनगर सुगर मिल से प्रशासन ने कितना बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान कराया?
स्थानीय क्षेत्र के लगभग हर चौराहे पर चर्चा चलती है और लोग अपनी-अपनी बात कहते हैं। मिल परिसर के पास एक चाय की दुकान में चुस्की लेते एक किसान से इस बाबत में प्रश्न किया तो किसान का दर्द और प्रशासन के प्रति गुस्सा छिलका और किसान ने कहा कि हम लोगों का बड़ा काम गन्ना मूल्य भुगतान से ही होता है लेकिन मिल के बंद होने व भुगताने न होने से हम किसानों पर आफ़त का पहाड़ टूट पड़ा है। बच्चों की शादी-ब्याह, पढ़ाई लिखाई, बीमारी आदि में पैसे कहां से लायें? बड़ी मुश्किल है कोई पुरसाहाल नहीं है।
किसान ने आगे कहा कि अगर कोई मिल को चलाने की अनुमति मांग रहा है, किसान का बकाया राशि भी देने को कह रहा है तो उसे अनुमति देना चाहिए इस चेतावनी के साथ कि बिना प्रशासन की अनुमति के कोई उत्पाद नहीं बेचेगा।